फर्जी शपथ-पत्र जारी करते नोटरी

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कंचन उजाला समाचार
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नोटरियों द्वारा अवैध धन लेकर बिना अपने रजिस्टर में अंकित कर तथा सम्बन्धित पक्ष से हस्ताक्षर कराये बिना शपथ-पत्र धड़ल्ले से जारी किये जा रहे है। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि इसका सर्वाधिक उपयोग सरकारी योजनाओं में हो रहा है। विशेष तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना तथा शहरी क्षेत्रों में मकान बनाने हेतु प्रधानमंत्री द्वारा दिये जाने वाले ढाई लाख का अनुदान जो जिला परियोजना अधिकारी (डूडा) की संस्तुति पर होता है। इन नोटरीयों द्वारा फर्जी शपथ-पत्र जारी किये जा रहे है। यह शपथ-पत्र 10/- रूपये के स्टाॅम्प पेपर या 100/- रूपये के स्टाॅम्प पर किरायेदारी इकरारनामा जिस पर नोटरी का प्रमाणित हस्ताक्षर व मोहर रहती है जबकि उभय पक्षों का कोई हस्ताक्षर नहीं रहता है। इस प्रकार यह गोरख धंधा फल-फूल रहा है। इसके अतिरिक्त जी.एस.टी. रजिस्ट्रेशन में भी नोटरियों द्वारा किरायेदारी अनुबन्ध सरकारी भवनों पर नोटरी द्वारा अभिप्रमाणित कर जारी कर दिये जा रहे है। सरकार द्वारा दो तरह के नोटरी बनाये जाते है-एक प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर राज्य नोटरी बनाये जाते है। दूसरा केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्र सरकार की अनुशंसा पर बनाये जाते है। नोटरी का महत्व मा. न्यायालयों में भी बहुत है, जबकि उ.प्र. में ई-स्टाॅम्प की व्यवस्था लागू है और इसके लिए स्टाॅक होल्र्डिग काॅरर्पोरेशन आॅफ इण्डिया लि., मुम्बई को अधिकृत किया गया है, जिसके चलते उ.प्र. सरकार के स्टाॅम्प राजस्व मंे भी भारी वृद्धि हुई है लेकिन अभी भी 10/- व 100/- रूपये के मैनुअल स्टाॅम्प टेªजरी से बेचे जा रहे है, जिसका नाजायज उपयोग नोटरी लोगो द्वारा किया जा रहा है। डूडा की योजनाओं में तो उनका बहुत उपयोग हो रहा है। प्रधानमंत्री आवास हेतु जारी होने वाली योजनाओं में नगर निगम लखनऊ के नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह को तथा उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण इन्द्रमणि त्रिपाठी को तथा प्रभारी जिला परियोजना अधिकारी (डूडा) लखनऊ सिद्धार्थ कुमार को ऐसे मैनुअल जमा किये गये शपथ-पत्रों के स्टाॅम्प की गहनता से जाॅच कराना चाहिए, जिसमें अधिकांशतः फर्जीवाड़ा ही मिलेगा क्योकि जो सही लोग है, वह ई-स्टाॅम्प के माध्यम से ही शपथ-पत्र बनवाते है। निश्चित रूप से इसमें बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आयेगा और बहुत से नोटरियों का इसमें फॅसना सुनिश्चित है।
उ.प्र. सरकार को चाहिए कि जब उ.प्र.में सभी प्रकार के ई-स्टाॅम्प की व्यवस्था लागू है तो इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मैनुअल स्टाॅम्प की बिक्री ट्रेजरी से बंद कर देनी चाहिए।

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