भ्रष्ट उ.प्र. सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लखनऊ।निदेशक पर योगी का हंटर चलना जरूरी

भ्रष्टाचार में सहयोगीगण

0 6


संवाददाता
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति पर कायम है और भ्रष्टाचार के प्रति योगी आदित्यनाथ का कठोर रवैया भी रहता है लेकिन कतिपय भ्रष्ट अधिकारी योगी आदित्यनाथ की जीरों टालरेंस की नीति को ठेंगा दिखा रहे है और भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे है तथा भारी लूट खसोट में लिप्त है तथा वह भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुये है। इनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए। ऐसे ही उ.प्र. सरकार के भ्रष्ट अधिकारी हैं निदेशक, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग शिशिर सिंह, जो कई वर्षो से इस पद पर बने हुये है और भारी भ्रष्टाचार में डूबे हुुये है। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के बजट से ही छोटे बड़े व मझले समाचार पत्रों को डी.ए.वी.पी. रेट पर तथा इलेक्ट्रानिक चैनलों को भी उ.प्र. सरकार की योजनाओं के करोड़ो के विज्ञापन व टेण्डर के विज्ञापन जारी किये जाते है। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह, विज्ञापन एजेन्सियों से जारी होने वाले विज्ञापनों में धड़ल्ले से एजेन्सियों से उनके 15 प्रतिशत कमीशन में से 10प्रतिशत ले लेता है, यह सिलसिला बदसतूर जारी है। इसके अतिरिक्त सूचना विभाग द्वारा लगायी जाने वाली इलेक्ट्रानिक होल्डिंग व सामान्य होल्डिंग के ठेकेदारों से लंबी रिश्वत् ली जाती है क्योकि उ.प्र. देश का सबसे बड़ा राज्य है और सूचना विभाग उ.प्र. सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार पूरे प्रदेश में इन्हीं के द्वारा करता है। इसीलिए इस विभाग का करोड़ो रूपये का बजट होता है। इलेक्ट्रानिक होल्डिंग व सामान्य होल्डिंग में बड़ा घोटाला इस भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह द्वारा किया जाता है। उदाहारणार्थ यदि किसी फर्म को 300 होल्डिंग का आर्डर दिया जाता है तो लगायी सिर्फ मुख्य जगहों पर 100 ही जाती है और बिलिंग पूरे की होती है और उसकी क्वालिटी भी निम्न स्तर की होती है। जबकि ब्लैक बैंक किस्म के फ्लैक्स लगाये जाने चाहिए और इलेक्ट्रानिक होल्डिंग कितने समय चल रही है, उनका क्या तय समय है। यह सब इसके भ्रष्ट अधिनस्थों द्वारा किये जाने के कारण उसकी कोई पकड़ नहीं हो पाती है। आज सोशल मीडिया का युग है। इस दौर में इलेक्ट्रानिक चैनलों को डाॅक्यूमेन्टरी फिल्म चलाने व विज्ञापन जारी किये जाते है, जो इलेक्ट्रानिक चैनल मानक नहीं पूरा करते है, उनको भी भारी मात्रा मंे विज्ञापन जारी किया जाता है। इस कृत्य को उसका चहेता सूचनाकर्मी राजीव सिंह करता है, जो वरिष्ठ पत्रकारों की शिकायत पर विगत दिनों समाचार पत्रों के विज्ञापन के प्रभार से ईमानदार प्रमुख सचिव संजय प्रसाद (सूचना) के निर्देश पर हटाया जा चुका है लेकिन भ्रष्ट निदेशक शिशिर सिंह का चहेता होने के कारण वह इस कार्य को कर रहा है। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि मानक पूरा नहीं करने वाले चैनलों को जारी होने वाले विज्ञापनों से 50 प्रतिशत तक कमीशन वसूल कर राजीव सिंह द्वारा भ्रष्ट निदेशक को पहुॅचाया जाता है। इसके अतिरिक्त दैनिक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, मैगजीन को जारी होने वाले विज्ञापनों में विज्ञापन एजेन्सी को मिलने वाले 15 प्रतिशत कमीशन में से 10 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है, जिसके लिए उनका पी.ए. परशुराम मौर्या तथा प्रशासनिक अधिकारी प्रमोद कुमार व अन्य सूचनाकर्मी संदीप ओझा विशेष रूप से उसको भ्रष्टाचारी कृत्य में सहयोगी रहते है। किसी भी प्रकार की पत्रिकाओं, जिनका डी.ए.वी.पी. रेट नहीं है, उनको भी भारी मात्रा में विज्ञापन लेन-देन करके जारी किये जाते है। उनको योगी आदित्यनाथ की उपलब्धियों के समाचार से कोई लेना-देना नहीं रहता है। बताया जाता है कि कई ऐसे न्यूज चैनल जो सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर है, उनको कई करोड़ के विज्ञापनों का भुगतान शपथ-पत्र के आधार पर भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह द्वारा रिश्वत लेकर किया गया है, जिसकी जाॅच करा ली जाये तो यह मामला स्पष्ट हो जायेगा। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह घूस की रकम ठोस सोने के रूप में लेता है। भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह की बदमीजाजी का यह आलम है कि वह छोटे व मझले समाचार पत्रों के रिपोर्टरों व महिला पत्रकारोंlpp से बदसलूकी से बात करता है, जिससे उ.प्र.सरकार की बहुत किरकिरी हो रही है जबकि कोरोना काल में उ.प्र. सरकार की बहुत किरकिरी समाचार पत्रों में हुई थी। यह भ्रष्ट सूचना निदेशक उसको मैनेज नहीं कर सका था।
सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह द्वारा भ्रष्टाचार से अर्जित रकम से लखनऊ के मोहनलालगंज में अपने परिजनों के नाम से 200 बीघे जमीन की खरीदी जा चुकी है, जिस पर वह विश्वविद्यालय का निर्माण कराना चाहता है। इसके अतिरिक्त लखनऊ से सटे उन्नाव जनपद में भी उसने सैकड़ों बीघे जमीन खरीद रखी है, जिसकी कीमत करोड़ो रूपये में है। इसके अलावा चर्चाओं के अनुसार उसने देश की राजधानी दिल्ली में होटल तथा देश के आर्थिक राजधानी मुम्बई में होटल खरीद रखा है, जो उसके परिजनों के नाम से है। इस भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह की आय से अधिक सम्पत्ति की जाॅच देश के गृह मंत्री अमित शाह को इसका संज्ञान लेते हुये प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) तथा सी.बी.आई. (विजिलेंस शाखा) द्वारा नोटिस जारी कर गहनता से जाॅच करानी चाहिए, जिसमें उसके करोड़ो के भ्रष्टाचार का खुलासा होना सुनिश्चित है। भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय डी.ओ.पी.टी. को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए। वैसे भी हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्पष्ट नीति है कि भ्रष्टाचारी कोई भी हो, उसे छोड़ा नहीं जायेगा, उसकी पहुॅच चाहे कितनी भी हो।
सूत्रों के अनुसार भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह की बदमीजाजी का यह आलम है कि वह उ.प्र. सरकार के ईमानदार आई.ए.एस. अधिकारी संजय प्रसाद प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, सूचना, गृह के आदेशों की भी अनदेखी करता रहता है। चूंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कर्मठ, ईमानदार
अधिकारी संजय प्रसाद प्रमुख सचिव सबसे प्रिय है। इसलिए इसकी मजबूरी हो जाती है। प्रमुख सचिव, सूचना संजय प्रसाद को उ.प्र. सूचना निदेशालय में वर्षो से चल रहे भ्रष्टाचार और इस भ्रष्टाचार में भ्रष्ट सूचना निदेशक के सहयोगी सूचनाकर्मियों परशुराम मौर्य, राजीव सिंह, प्रमोद कुमार, संदीप ओझा की आय से अधिक सम्पत्ति की जाॅच उ.प्र. सर्तकता अधिष्ठान से कराना चाहिए तथा इनके व्यक्तिगत मोबाइल नम्बरों के कई माह पूर्व के काॅल डिटेल का रिकाॅर्ड भी जाॅच कर छानबीन करनी चाहिए और उनको उनके पदों से हटाकर अन्य सूचना कर्मियों की नियुक्ति करनी चाहिए तभी भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकेगा।
भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह के भ्रष्टाचार की चर्चा कई वर्षो से उसके निदेशक पद पर जमे रहने के कारण सत्ता के गलियारों में बनी रहती है। ऐसा भी नहीं है कि भ्रष्ट सूचना निदेशक शिशिर सिंह के नहीं रहने से सूचना विभाग नहीं चल पायेगा या उ.प्र.सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं हो सकेगा। इसके भ्रष्टाचार की जाॅच होने से ही मुख्यमंत्री योगी की जीरो टालरेंस नीति का अनुपालन हो सकेगा। अतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हंटर ऐसे भ्रष्टाचारी पर चलना जरूरी है तभी छोटे मझोले पत्रकारों, महिला पत्रकारों को सम्मान मिल सकेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.