ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के खेत की मिट्टी मृदा परीक्षण केंद्र में सिर्फ नमूना

• हजारों किसान अपनी माटी की गुणवत्ता की जानकारी से वंचित • अवध में कुछ दशक पहले आम,अमरूद,धान व हरी सब्जियों की खेती में लघु किसान नहीं करते थे कीटनाशक दवाओं का छिडकाव

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लखनऊ। मोहनलालगंज ,मलिहाबाद व माल क्षेत्र के हजारों किसान अपनी फसलों के पैदावार बढ़ाने को लेकर काफी चिंतित हैं। लखनऊ जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में मृदा परीक्षण लैब के सदस्य किसानों के खेत के सैंपल लेने आते हैं, परन्तु उसमें मौजूद उर्वरक क्षमता व गुणवत्ता के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध कराई जाती है। मलिहाबाद फलपट्टी क्षेत्र व अन्य जगह गेहूं व धान की खेती करने वाले कृषक अपनी विभिन्न फसलों को लेकर हद से ज्यादा चिंतित हैं। वहीं दूसरी तरफ कृषक वर्ग को अपनी खेती पर फसल के अनुपात में कीटनाशक का छिडकाव अधिक मात्रा में हो रहा है। जिससे पैसों की अधिक बर्बादी हो रही है। लखनऊ में काकोरी के कई हिस्सों में आम के साथ हरी सब्जी की खेती भी होती है। जबकि माल मलिहाबाद सिर्फ फलपट्टी तो मोहनलालगंज गेहूं और धान की फसल के लिए मशहूर है। इन सभी इलाकों में वैज्ञानिक आधार द्वारा कीटनाशक दुकानों का जाल बिछा है। फसलों के कीटनाशक फसली कीट के आगे शून्य। तो वहीं मृदा परीक्षण लैब में पडी हजारों खेतों के शैंपल सिर्फ मिट्टी बनकर रह गए। आखिरकार सवाल यह खडा होता है कृषि प्रधान देश में मिट्टी की गुणवत्ता के विषय में प्रशासन इतना लापरवाह क्यों। अन्नदाता देश की उर्जा का आधार। बावजूद प्रशासन की उदासीन स्थिति वाली शिथिलता जस की तस जारी है।

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