लखनऊ में फ़र्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, नौकरी का झांसा देकर करते थे ठगी

नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों के एकाउंट से उड़ा रहे थे रुपये, लखनऊ में नौ युवतियों समेत 11 गिरफ्तार

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लखनऊ। क्राइम ब्रांच और अलीगंज कोतवाली की संयुक्त टीम ने फर्जी कॉल सेंटर की आड़ में खाते की रक़म उड़ाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। आरोपित कई सेक्टर में नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवाओं को फोन कर झांसे में लेते और फिर उनके ई-बैंक खातों की जानकारी हासिल कर रुपये पार कर देते थे। एसीपी क्राइम ब्रांच प्रवीण मलिक के मुताबिक गिरोह में शामिल नौ युवतियों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। फर्जीवाड़े का यह गिरोह लगभग हर सेक्टर में युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा देता था। खासकर टेलीकॉम, बैंक और साफ्टवेयर कंपनियों में नौकरी का ऑफर दिया जाता था। मूलरूप से लखीमपुर निवासी अनुज पाल और विशाल ने अलीगंज स्थित पुरनिया में एक किराए के कमरे में कॉल सेंटर खोला था। क्राइम ब्रांच औऱ अलीगंज कोतवाली की संयुक्त टीम के हाथ मुख्य आरोपित अनुज पाल उसकी पत्नी डॉली उर्फ़ रूबी के अलावा विकासनगर सेक्टर चार निवासी अजय कश्यप, मडिय़ांव निवासी रमा सिंह, कोमल सिंह, जय निगम, रुचि तिवारी, प्रीती देवी, महानगर निवासी सदफ, बीकेटी निवासी पूजा चौरसिया, अलीगंज निवासी पल्लवी को गिरफ्तार किया गया है।

आपको बता दे कि सोमवार दोपहर क्राइम ब्रांच औऱ अलीगंज कोतवाली की संयुक्त टीम ने केंद्रीय भवन पुरनिया स्थित पेट्रोल पंप के पीछे कैलाश प्लाजा में चल रहे फ़र्जी कॉल सेंटर पर छापा मारा। वहां से नौ युवतियों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया। छापेमारी के दौरान कॉल सेंटर से 17 मोबाइल, 12 कंप्यूटर, एक प्रिंटर, एक लैपटॉप, एक एलईडी टीवी, दो डिश के सेट टॉप बॉक्स, एक डिजिटल कार्डलेस फोन, वाईफाई सेट टॉप बॉक्स, लेटर पैड, मोहर व चार पेन ड्राइव बरामद हुईं हैं। गिरफ्तार हुई युवतियों ने बताया कि उन्हें शुरुआत में तीन महीने 6 हजार रुपये फिर उसके बाद आठ हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता था।

इस तरह फर्जीवाड़ा करता था गिरोह

गिरोह संचालक अनुज पाल और विशाल नौकरी डॉट कॉम औऱ वर्क इंडिया पर ऐसे बेरोजगारों का खांका निकलवाते जिन्होंने नौकरी के लिए उक्त वेबसाइट सहित कई जगहों पर अपना सीवी बायोडाटा डाला हो। इसके बाद उनके फोन नंबर युवतियों को देकर युवकों को फोन कराते थे। युवतियां फोन कर युवकों को नौकरी के लिए चयन होने का झांसा देती थीं। रजिस्ट्रेशन के नाम पर ऑनलाइन माध्यम से सौ रुपये लिए जाते थे। इसके बाद स्क्रीन शॉर्ट मंगवाकर या लिंक भेजकर युवकों के बैंक खाते की जानकारी हासिल कर लेते थे। शातिर जालसाज़ ऑनलाइन साक्षात्कार का झांसा देकर गूगल मीट के माध्यम से स्क्रीन शेयर करवा लेते थे। इतना ही नही युवकों को बातों में उलझाए रहते थे और उनसे जॉब प्रोफाइल सम्बन्धित डिस्कसन करते फ़िर अचानक ओटीपी पूछकर खातों से रुपये पार कर देते थे। आरोपितों ने जालसाज़ी से लाभ में आये रुपयों की सटीक वित्तीय जानकारी नही दी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हजारों की संख्या में तमाम राज्यों के नागरिकों के बैंक खातों से क्लोनिग कर हासिल किये रुपयों का अबतक कोई ब्यौरा हाथ नही लग सका है। हालांकि आरोपियों की कूटनीति का शिकार हुए पीड़ितों की हज़ारों की संख्या है। पुलिस का कहना है कि आरोपितों को छह सौ रुपये में प्री एक्टिवेटेड सिम उपलब्ध कराने वाले दुकानदार का पता चला है, जिसकी तलाश की जा रही है।

फ़र्जी कॉल सेंटर का मुख्य आरोपी अनुज पाल

दूसरे राज्यों के युवाओं को बनाते थे शिकार

लखनऊ। ये कॉल सेंटर खासकर दूसरे राज्यों के युवाओं को ही निशाना बनाता था, ताकि ठगी का शिकार बने युवक/युवती पैरवी के लिए दौड़भाग न कर सकें। कॉल सेंटर से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों के हजारों युवाओं से ठगी की जा चुकी है। कई पीड़ितों ने संबंधित जिलों में पुलिस से शिकायत भी की मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

कैसे चलता था साइबर फ्रॉड का पूरा खेल?

एसीपी क्राइम ब्रांच प्रवीण मलिक के मुताबिक गिरोह में शामिल नौ युवतियों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरोह लगभग हर सेक्टर में युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा देता था। खासकर टेलीकॉम बैंक और साफ्टवेयर कंपनियों में नौकरी का ऑफर दिया जाता था।
इसके बाद उन बेरोजगार युवक व युवतियों को अपने झांसे में लेकर उनका क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड की डिटेल हासिल कर लेते थे। यह लड़कियां डिटेल हासिल करने के बाद उसे अनुज पाल और अजय तक पहुंचाती थीं। यह लोग डिटेल हासिल होने के बाद उसके माध्यम से साइबर फ्रॉड से उनके बैंक खातों से रुपयों को ट्रांसफर कर लिया जाता था। इस घटना की शिकायत आए दिन साइबर थाने में दर्ज कराई जाती थी। वही एडीसीपी (उत्तरी) प्राची सिंह ने बताया कि कॉल सेंटर के संचालक नौकरी डॉट कॉम समेत अन्य जॉब पोर्टल पर रजिस्टर्ड बेरोजगार युवाओं का डाटा निकालते थे। फिर इनके नंबर पर कॉल कर अच्छी कंपनी में मोटी तनख्वाह पर नौकरी का ऑफर देकर रजिस्ट्रेशन कराया जाता था। विश्वास दिलाने के लिए वह कंपनी की लाइव लोकेशन तक भेज देता था। इसके बाद एक लिंक शेयर किया जाता था। उस पर क्लिक करते ही संबंधित युवक/युवती का मोबाइल हैक कर खाते से पूरी रकम अपने यूके वॉलेट या फिर पेटीएम में ट्रांसफर कर लेते थे। कॉल सेंटर से फोन कर बातों में उलझाकर ओटीपी पूछकर भी ये लोग खाते से रकम उड़ाते थे।

एडीसीपी (उत्तरी) प्राची सिंह ने बताया कि अनुज व उसकी पत्नी डॉली उर्फ रूबी पुरनिया स्थित कैलाश प्लाजा में मार्च 2020 से ये कॉल सेंटर चला रहे थे। वह वर्ष 2017 से इस तरह की ठगी कर रहा है। अनुज व उसके साथियों द्वारा हरदोई व अन्य जगह भी कॉल सेंटर खोलकर ठगी की जानकारी पुलिस को मिली है। इस कॉल सेंटर के संचालन से जुड़े विशाल शर्मा निवासी अलीगढ़, अजय निवासी पटना, खुशबू, हिमांशी  वर्मा व अभिषेक फरार हैं जिनकी तलाश में पुलिस व क्राइम ब्रांच को लगाया गया है।

दूसरे राज्यों के युवाओं को बनाते थे शिकार

ये कॉल सेंटर खासकर दूसरे राज्यों के युवाओं को ही निशाना बनाता था, ताकि ठगी का शिकार बने युवक/युवती पैरवी के लिए दौड़भाग न कर सकें। कॉल सेंटर से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों के हजारों युवाओं से ठगी की जा चुकी है। कई पीड़ितों ने संबंधित जिलों में पुलिस से शिकायत भी की मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

छह महीने में बदल देता था स्टाफ

कॉल सेंटर का संचालक अनुज कुमार पाल बेरोजगार युवतियों को छह से आठ हजार रुपये वेतन पर कॉलिंग के लिए नौकरी पर रखता था। फिर उन्हीं से सुबह दस से शाम पांच बजे तक बेरोजगारों को कॉल कराता था। जो युवक-युवती झांसे में आकर नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराते थे, उन्हें लिंक भेजकर खाते से रकम उड़ाने का काम अनुज खुद करता था। कॉलिंग करने वाली युवतियां पांच-छह महीने में जब तक माजरा समझतीं वह किसी बहाने से उन्हें नौकरी से निकालकर दूसरी लड़कियों को नौकरी पर रख लेता था।

 

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