उत्तर प्रदेश: फर्जी शिक्षकों का डेटा निकालकर करता था ब्लैकमेल, एसटीएफ ने दबोचा

UP STF: ने तीन जालसाजों को किया गिरफ्तार, शिक्षा अधिकारी बनकर करते थे फोन

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र से फर्जी शिक्षकों से वसूली करने वाले एक जालसाज समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि सूचना मिली थी कि प्रमोद कुमार सिंह उर्फ यदुनन्दन यादव बाराबंकी में एक फर्जी शिक्षक है तथा मानव सम्पदा पोर्टल की वेबसाइट का दुरूपयोग कर गैंग के सदस्यों के साथ धांधली कर लोगों से पैसा इकट्ठा कर रहा है, आज अपने गैंग के सदस्य के साथ एक फर्जी टीचर से वेव सिनेमा स्थित पराग बूथ उपरोक्त के पास आयेगा।

मुखबिर की सूचना पर STF की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार जालसाज ने पूछताछ पर बताया कि वह प्रमोद कुमार सिंह के नाम से प्राथमिक विद्यालय, ककराहा ब्लाक बन्नी कोडर, बाराबंकी में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी कर रहा है। वह इससे पहले भी फर्जी एसटी का प्रमाण पत्र बनवा कर सीआरपीएफ में वर्ष 2000 में भर्ती हुआ था, इस आरोप में वह 2007 में जेल भी गया था।

ऐसे करता था जालसाजी

जालसाज ने बताया कि उसकी पत्नी अर्चना पाण्डेय के नाम से उच्च प्राथमिक विद्यालय, गदिया बाराबंकी में अध्यापक के पद पर नौकरी कर रही है। उसके द्वारा वह मानव सम्पदा पोटर्ल से पब्लिक विन्डों में दी गई सूची के आधार का इस्तेमाल करके यह जानकारी प्राप्त कर लेता था कि कौन फर्जी अध्यापक है और उनसे वसूली करता था। वह ऐसे अध्यापकों के शैक्षिक दस्तावेजोें का अध्ययन कर लेता था, जिससे पता चल जाता था कि कूटरचित शैक्षिक दस्तावेज के आधार पर चयनित होकर नौकरी कर रहे हैं। जिन शिक्षकों का मोबाइल नम्बर नहीं मिलता था, तब उनसे संपर्क करने के लिये उनके जिले के पोटर्ल से ग्राम प्रधान के नम्बर पर संपर्क कर शिक्षक का मोबाइल नम्बर प्राप्त कर लेता था, फिर उनके मोबाइल नम्बर पर सम्पकर् कर बताता था कि मैं मानव संपदा पोटर्ल का अधिकारी बोल रहा हूं।

इसी क्रम मेें उसने फर्जी शिक्षक आशीष कुमार सिंह पैसा लेकर बुलाया था, जिसका वास्तविक नाम प्रमोद कुमार यादव है तथा वह प्राथमिक विद्यालय खोरी पट्टी, बढ़हलगंज गोरखपुर में नौकरी कर रहा है। यदुनन्दन की गाड़ी से बरामद कागजात के बारे में पूछताछ पर बताया कि यह सभी फर्जी अध्यापक हैं। यह सारे कागजात उसने मानव सम्पदा पोटर्ल के माध्यम से निकाले हैं। इनमें से कुछ फर्जी अध्यापकों से पैसा वसूल चुका है एवं कुछ से पैसा वसूलना बाकी था। गिरफ्तार अभियुक्त सत्यपाल यादव ने पूछताछ पर बताया कि वह यदुनन्दन यादव का भाई है और इस फर्जीवाड़े में वह ही शिक्षकों को फोन करके यदुनन्दन को मानव सम्पदा विभाग का अधिकारी बताते हुए बात कराता है। जब कोई फर्जी शिक्षक मिलने आता है तो वह यदुनन्दन का ड्राइवर या स्टाफ बन कर मिलता हूँ।

बड़े अधिकारी के शामिल होने की थी आशंका

शुरू में एसटीएफ को लगा कि इस मामले में विभाग का कोई बड़ा अधिकारी शामिल है, जो फर्जी शिक्षकों से यदुनंदन के जरिए वसूली कर रहा है। लेकिन, यदुनंदन ने पूछताछ में बताया कि वेबसाइट में किस तरह से फर्जी शिक्षकों का ब्योरा मिल रहा है।

इस तरह शुरू हुई उगाही

आरोपी ने बताया कि वेबसाइट से उसे एक या दो नाम मिले, जिसके बाद उसने उन लोगों को वसूली के लिए बुलाया। वे लोग कम रकम में अपना पिंड छुड़ाने के लिए उसे दो से तीन फर्जी शिक्षकों का नाम बता देते थे। फिर यदुनंदन उन लोगों को बुलाकर वसूली करता था। इसके बाद उसे उनसे कुछ और फर्जी शिक्षकों के नाम मिल जाते थे।

कार्रवाई के लिए लिख रहे पत्र

यदुनंदन के पास से मिली सूची में शामिल ज्यादातर शिक्षक गोरखपुर, बाराबंकी, जौनपुर, कौशांबी, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, देवरिया, श्रावस्ती, सीतापुर में तैनात हैं। एसटीएफ और विभूतिखंड पुलिस इन शिक्षकों के बारे में जानकारियां जुटा रही है। यदुनंदन ने बताया कि जिसने उसकी और पत्नी की बाराबंकी में फर्जी तरीके से नौकरी लगवाई थी, उसकी अब मौत हो चुकी है। एसटीएफ को यदुनंदन से कई और फर्जी शिक्षकों का पता चला है। एसटीएफ इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित जिलों को पत्र लिख रही है।

 

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