एसटीएफ ने खून तस्करी करने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश : असिस्टेंट प्रोफेसर सहित दो को दबोचा, 100 यूनिट खून बरामद

पकड़े गए आरोपियों ने एसटीएफ के सामने कुबूल किया कि दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान में रक्तदान का अधिक चलन है, जिससे वहां पर आसानी से खून उपलबध होता है। जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार से इलाज के लिए आने वाले लोगों को रक्तदान करने में परेशानी होती है।

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लखनऊ। एसटीएफ ने खून की तस्करी करने वाले गिरोह का खुलासा बृहस्पतिवार को किया। इस गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गये आरोपियों में एक मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है। आरोपियों के पास से 100 यूनिट ब्लड, 21 ब्लड बैंक के फर्जी दस्तावेज, शिविर का बैनर सहित कई अहम दस्तावेज मिले हैं। एटीएफ की टीम गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

एसटीएफ के डिप्टी एसपी अमित कुमार नागर की टीम ने खून की तस्करी व मिलावट कर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। एसटीएफ की टीम ने 2018 में अवैध तरीके से खून निकाल कर उसको सेलाइन वाटर की मिलावट कर दो गुना कर बेचने वाले गिरोह का खुलासा किया था। इस गिरोह के पांच सदस्यों को मड़ियांव इलाके से दबोचा था। इसके बाद से टीम लगातार ऐसे गिरोहों पर निगरानी कर रही थी। बुधवार को दोनों आरोपियों के बारे में जानकारी मिली। पुलिस ने दोनों को आगरा एक्सप्रेस वे के पास से गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गये आरोपियों में डॉ. अभय प्रताप सिंह व अभिषेक पाठक शामिल है। डॉ. अभय प्रताप सिंह सरदार पटेल डेंटल कॉलेज रायबरेली रोड का रहने वाला है। वह वर्तमान में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल कॉलेज सैफई इटावा में तैनात है। वहीं अभिषेक पाठक सिद्घार्थनगर के जमुनी का रहने वाला है।

यह हुआ बरामद
एटीएफ ने आरोपियों के पास से 100 यूनिट पैक रेड ब्लड सेल्स (पीआरबीसी), 21 कूटरचित ब्लउ बैंकों के प्रपत्र, दो रक्तदान शिविर का बैनर, एक लग्जरी कार, एक यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज सैफई का पहचानपत्र, 5 मोबाइल, 5 एटीएम कार्ड, दो पैन कार्ड, एक डॉक्टर मेंबरशिप कार्ड, 23830 रुपये नकदी बरामद हुआ।

एजेंटों के माध्यम से करते थे कारोबार
एसटीएफ टीम के मुताबिक यह गिरोह बड़े पैमाने पर खून मिलावट व तस्करी का काम करता है। इसके लिए ब्लड बैंकों के कूटरचित पर्चे भी बनवा रखे हैं। एजेंटों के जरिए सांठगाठ कर जरूरतमंदों को अधिक कीमत पर खून उपलब्ध कराते हैं। गिरोह के  एजेंट राजधानी के निजी व सरकारी अस्पतालों में मौजूद हैं। जो  जरूरत में भटक रहे लोगों को मोटी रकम लेकर आसानी से खून उपलब्ध कराते हैं। कई निजी अस्पतालों के बारे में दोनों आरोपियों ने पूछताछ में जानकारी दी है। एसटीएफ जल्द ही इन अस्पतालों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा। यह गिरोह मिलावटी खून की तस्करी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा से की जाती है। इन तीनों राज्यों से खून लाकर लखनऊ के अस्पतालों में आपूर्ति की जाती है।

केजीएमयू व एसजीपीजीआई से की है पढ़ाई
एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक गिरोह का मुख्य किरदार डॉ. अभय प्रताप सिंह है। वह सैफई के मेडिकल कॉलेज में बतौर सहायक प्रोफेसर तैनात है। अभय ने 2000 में केजीएमयू से एमबीबीएस, एसजीपीजीआई से 2007 में एमडी ट्रांसफ्यूजन मेडिसन का कोर्स किया है। इसके बाद 2010 में ओपी चौधरी ब्लड बैंक में एमओआईसी के पद पर तैनात है। वर्ष 2014 में चरक हास्पिटल के सलाहकार केपद पर, 2015 में नैती हास्पिटल मथुरा में सलाहकार के पद पर कार्यरत है। मैनपुरी व अमेठी के जगदीशपुर में सलाहकार के पद के लिए आवेदन किया है।
हरियाणा, राजस्थान व पंजाब से खून लाते समय दबोचे गये
एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक आरोपियों को जब पकड़ा गया था। वह उस वक्त राजस्थान, हरियाणा व पंजाब में रक्तदान शिविरों में दिये गये खून को लेकर लखनऊ पहुंच रहे थे। आरोपियाें के पास से बरामद कार के  अंदर एक गत्ता मिला। जिसमें 45 यूनिट खून मिला। एसटीएफ ने इसे औषधि निरीक्षक को सुपुर्द कर दिया है। ताकि उसकी जांच कराई जा सके। अभय ने टीम को गुमराह करने की पूरी कोशिश की। वैध खून का काम करने का दावा किया। संबंधित दस्तावेज अपने आवास से देने का वादा किया। इसके बाद टीम ने उसके घर भी गई। इसके अलावा गंगोत्री अपार्टमेंट और दूसरे आरोपी अभिषेक पाठक के सपना इंक्लेव में छापा डाला। जहां से अहम दस्तावेज मिले। जिससे यह साफ हो गया कि दोनों खून की तस्करी करने वाले गिरोह से ताल्लुक रखते हैं। अभिषेक के कुबूलनामे के बाद पुलिस ने उसके कमरे की तलाशी ली। जिसमें घरेलू प्रयोग में लाई जाने वाली फ्रिज के अंदर से 55 यूनिट खून बरामद हुआ।

नामी अस्पतालों में करते थे आपूर्ति
एसटीएफ के सामने आरोपियों ने कुबूल किया कि मिलावटी व तस्करी कर लाए गये खून को लखनऊ के कई नामी अस्पतालों में आपूर्ति करते थे। इमसें अवध हॉस्पिटल आलमबाग, वर्मा हॉस्पिटल काकोरी, काकोरी हॉस्पिटल, लखनऊ निदान ब्लड बैंक, बंथरा व मोहनलालगंज स्थित अस्पताल, सुषमा हॉस्पिटल के अलावा कई अन्य अस्पतालों के नाम शामिल हैं। इस गिरोह के अन्य सदस्यों में कमल सत्तू, दाताराम, हरियाणा का लितुदा, केडी कमाल, डॉ. अजहर राव, दिल्ली के नीलेश सिंह, हरियाणा व दिल्ली में मदद करते हैं। लखनऊ में गिरोह के एजेंट का काम बृजेश निगम, सौरभ वर्मा, दीपू चौधरी, जावेद खान, धीरज तवंर शामिल हैं।

चार से छह हजार रुपये की दर से बेचते हैं खून
आरोपियों ने एसटीएफ के सामने कुबूल किया कि दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान में रक्तदान का अधिक चलन है, जिससे वहां पर आसानी से खून उपलबध होता है। जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार से इलाज के लिए आने वाले लोगों को रक्तदान करने में परेशानी होती है। जिसके कारण ऐसे लोगों को खून की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे ही लोगों को टारगेट करते हैं। उनसे एक यूनिट मिलावटी खून का 1200 रुपये में खरीदकर 4 से 6 हजार रुपये में देते हैं। स्लाइन वाटर मिलाकर खून को एक से दो यूनिट तैयार करते हैं। वहीं तस्करी के खून की वैधता बताने केलिए फर्जी तरीके से लगाए गये रक्तदान शिविर के आयोजन व उसकी फोटोग्राफी का प्रयोग करते हैं। आरोपियों के खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाने में जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, लोगों के जिंदगी से खिलवाड़ करने की धारा में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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