उ.प्र.के परिवहन मंत्रीदयाशंकर सिंह से दया की भीख मांगते मृतक आश्रित
आश्रितउ.प्र.के परिवहन मंत्रीदयाशंकर सिंह से दया की भीख मांगते मृतककंचन उजाला समाचार
विशेष संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जहां विपक्षी दल बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दा बनाये हुये है वहीं उ.प्र.के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दया शंकर सिंह नौकरियों के प्रति कान में तेल डाले बैठे हुये है। जबकि यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट निर्देश है कि जिस विभाग में पद रिक्त है, उनको या तो संविदा पर भरा जाये या स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये और जो कर्मचारी स्थायी रूप से कार्यरत थे और वे कार्य के दौरान दिवांगत हो गये थे उनके मृतक आश्रितों को तत्काल नौकरी पर रखा जाये। लेकिन खेद जनक है कि उ.प्र के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दया शंकर सिंह इसकी घोर अनदेखी कर रहे है। विभागीय सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि विगत 2018 से बहुत से परिवहन विभाग के स्थायी कर्मी परलोक सिधार गये और जनकी संख्या लगभग 1000 से अधिक है और कई वर्षों से नौकरी की बाट जोह रहे है, उनके परिवार के समक्ष रोजी रोटी व भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है और परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह से मृतक आश्रित दया की भीख मांग रहे है। बहुत से परिवहन कर्मी ऐसे है जिनकी मृत्यु कोरोना काल के दौरान हो गई थी और उन्हें जीवन बीमा विभाग द्वारा उनके परिजनों को परिवहन विभाग की लापरवाही से बीमा के क्लेम भी नहीं मिला। मृतक आश्रितों द्वारा परिवहन मुख्यालय पर कई दिनों तक धरना भी दिया गया था लेकिन कई दिनों बाद भी परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह को दया नहीं आयी। सूत्रों के अनुसार मृतक आश्रितों के परिवहन कर्मियों का कहना है कि उनकी वरिष्ठता भी पीछे छूट चुकी है, नौकरी का पता नहीं है। विगत दिनों पूर्व विभाग द्वारा संविदा पर मर्ती हेतु विज्ञापन समाचार पत्रों में प्रकाशित कराये गये थे, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा। उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री की योगी आदित्यनाथ को इसका तत्काल संज्ञान लेते हुये परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दया शंकर सिंह को निर्देशित करना चाहिए कि मृतक आश्रितों के परिवार को तत्काल स्थायी नौकरी प्रदान की जाये व रिक्त पदों पर भी भर्ती करना चाहिए क्योकि विपक्ष हमेशा बेरोजगारी को मुद्दा बनाता रहता है और उ.प्र.सरकार को घेरने काकार्य करता है। उ.प्र.के यशस्वी मुख्यमंत्री आदित्य नाथ से दिवंगत हो चुके परिवहन कर्मियों के मृतक आश्रितों के परिजनों को आशातीत आशायें है।