लखनऊ। रिहाइशी मकान को तोड़कर अवैध रूप से निर्माण करते हुए बड़ी इमारतें बनाई जा रही है। बिना मानचित्र स्वीकृत के इन अवैध रूप से बन रही इमारतों के खिलाफ ख़ासतौर पर कोई रोक टोंक ही नही है। एलडीए के क्षेत्र में खुलेआम धड़ल्ले से मानक दरकिनार कर आवासीय भूखंडों को अवैध रूप से व्यावसायिक बनाया जा रहा है। जिनकों ज़िम्मेदारी और सक्रियता से अवैध निर्माण पर सीलिंग की कार्ऱवाई करनी चाहिए वही क्षेत्र के ज़िम्मेदार आंखें मूंदकर बैठे हुए है।
महानगर के छन्नी लाल चौराहा स्थित आवासीय भूखंड को बग़ैर स्वीकृति के व्यावसायिक बनाने का ख़ेल जोरों पर है। रिहाइशी ज़मीन पर विशालकाय बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक आवासीय भूखंड पर अनाधिकृत तौर पर बग़ैर स्वीकृति के मिलीभगत से तैयार हो रही इस बिल्डिंग में मारुती शोरूम खोला जायेगा। अनियोजित ढंग से तैयार हो रही इस बिल्डिंग के खिलाफ एलडीए की ओर से अभी तक कोई ठोस क़दम नही उठाया गया।
• इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण की भरमार
पुराने लखनऊ के ठाकुरगंज, माली खाँ सराय, चौक, रकाबगंज, यहियागंज, नक्खास, अशर्फाबाद, टुडियागंज, बाज़ार खाला, बिल्लोचपुरा, भदेवां, हैदरगंज, ऐशबाग, टिकैतराय तालाब, राजाजीपुरम
पार्किंग की जगह तक नही
शहर में बनी अवैध कमर्शियल इमारतों में एलडीए के सभी मानकों को दरकिनार किया गया है। बावजूद लखनऊ विकास प्राधिकरण इसकी सुध लेने को तैयार नही है। मुनाफ़े के लोभ में बिल्डरों ने कई घन मीटर धरती का सीना छलनी करते हुए टुडियागंज में अवैध रूप से बेसमेंट बना दिया है। रातों- रात मानक के विपरीत बिल्डिंग का स्वरूप तैयार हो गया। क्षेत्र के जिम्मेदरों को भनक तक नही लगी। बहरहाल इस अवैध बिल्डिंग में अब व्यावसायिक गतिविधि चरम पर है। ख़ास बात यह है कि इस बिल्डिंग में पार्किंग तक की जगह नही छोड़ी गई। मानक को दरकिनार करने का यह कोई पहला मामला नही है। दर्जनों बिल्डिंग अवैध रूप से भदेवां में बनकर तैयार है। जो खतरे की ओर इशारा करते हुए एक न एक दिन आमजन मानस को भारी पड़ सकता है। अनियोजित ढंग से बनी इन इमारतों में फायर फाइटिंग तक की व्यवस्था नही है।
सकरी गलियों में बहुमंजिला इमारतें
सकरी और तंग गलियों में अवैध रूप से बहुमंजिला इमारतें बनी है ज़ो एक न एक दिन बड़े हादसें को न्यौता दे सकती है। बावजूद जिम्मेदरों का कोई सक्रिय रूख अबतक देखने को नही मिला है। इतना ही नही बेधड़क तरीके से आवासीय क्षेत्र में खड़ीं व्यावसायिक इमारतें पर मजबूत कार्ऱवाई की दिशा अबतक तय नही हुई।
राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक कंचन उजाला में प्रमुखता से प्रकाशित हुई खबर